मन के कुछ भाव जो शब्दों का रूप लेकर लेखनी से होते हुये यथार्थ में उतर आते हैं।
Tuesday, July 24, 2007
जिन्दगी
इस अनजाने देश में बेगाने परदेस में जिन्दगी की कशमकश के चलते हवाओं की लहरों पर सवार जानी पहचानी सी कोई आवाज सुनाई देती है जब वो जहां पुराना छूट गया जो याद आके फिर आंखों में नमी सी भर देता है। धडकन भारी कर देता है।।
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