अभ्युदय
मन के कुछ भाव जो शब्दों का रूप लेकर लेखनी से होते हुये यथार्थ में उतर आते हैं।
Friday, January 2, 2009
नव वर्ष
आलाह्दित
कर
दे
नव
वर्ष
तुम
को
,
मन
में
भर
दे
एक
स्पंदन।
असीम
उर्जा
का
स्त्रोत
बनो
तुम
,
झंकृत
हो
जाए
तन
-
मन।।
क्षण
-
२
स्फुर्नित
हो
कुछ
एसे
,
कांति
फैले
धारा
गगन॥
-
२
......
"
पथ
के
शूल
फूल
बन
जायें॥
बाट
सरस
हो
तेरी॥
तुम
न
थको
मंजिल
थक
जाए
,
यही
कामना
मेरी॥
" :)
-अज्ञात
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