Saturday, October 25, 2008

लाश

सोचा मैंने आसमान में,
देख के चील कोवे ज्यादा
नाले
में पडी लाश को,
खाने का था उनका इरादा
वो लाश मुझे झकझोर गयी,
पर आने जाने वालों को "बोर" कर गयी
फैल
रही थी वहां दुर्गन्ध,
आने
जाने वाले लोग कर लेते,
झट से अपना नाक बंद
कोई
घूम के देखता ,
कोई
मुंह फेर जाता ,
कोई कुछ करना चाहता
रुका
कोई वहां ,
रुके
कुछ परिंदे ढीठ
वो
भी रुकते शायद ,
जो भरना होता उन्हें अपना पेट
ठीक ही कहा है शायद..

आदमी
के स्वार्थ ने,
जमीर
को उसके,
कर दिया है बंद ताले में
और..

मानवता,
भाईचारे
,
इमान की लाश,
गिरी हुई है नाले में॥-

10 comments:

P. Dwivedi said...

great Sir, its too good.

शोभा said...

अच्छा लिखा है. दीपावली की शुभ कामनाएं.

Unknown said...

Don't walk as if you rule the world,
walk as if you don't care who rules the world!
That's called Attitude…! Keep on rocking! !!!!!!!!!!!!!

Unknown said...

He was a good man. He never smoked, drank & had no affair.
When he died, the insurance company refused the claim.
They said, he who never lived, cannot die! !!!!!!!!!!!!!!

श्यामल सुमन said...

मानवता,
भाईचारे,
इमान की लाश,
गिरी हुई है नाले में॥

सुन्दर भाव। अच्छा है। कहते हैं कि-

ऐ खुदायाने सियासत कुछ तो समझौता करो।
कौम सारी मुंतजिर है मुस्कुराने के लिए।।

दीपावली की शुभकामनाएँ।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

Unknown said...

hello dear shekhu,
absolutely gr8, keep it up,
i wish u and yr family /Happy Diwali

mukesh

Amit K Sagar said...

बेहतर लिखा. आगे भी पढाते रहें. दिवाली की शुभकामनायें.

Unknown said...

i knew from MSc days that u r a very good poet but for the first time i read ur peom. it is too good. keep writing.....

रचना गौड़ ’भारती’ said...

bahut sundar bhaav hai. likhate rahe.badhaee

Shekhar said...

प्रिय मित्रो
मैं आप सभी जनों का आपके उत्साहवर्धन के लिए बहुत आभारी हूँ। आपके शब्दों और रचनात्मक आलोचनाओं का का भविष्य में भी इंतज़ार रहेगा।
आपके स्नेह एवं मार्गदर्शन की बाट जोहता
-शेखर